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बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया | जी हाँ आजकल कि महंगाई के ज़माने में पैसा किसे नही चाहिए और अगर बचपन से ही पॉकेट मनी से बचत करने कि आदत बन जाये तो क्या ही कहने. और ये बचत करने के लिए कुछ अलग से नही करना, खेल-खेल में ही कब बच्चों को पैसा बचाना आ जाएगा पता ही नही चलेगा, गुल्लक यानि आजकल पिग्गी बैंक या यूँ कह लो बच्चो का अपना बैंक जिसमे अकाउंट खुलवाने के लिए आपको कहीं जाना नही है बस आपको उनके जरुरत का सामान एक बार कहने से नही दिलवाना है बल्कि उन्हें पॉकेट मनी देनी है | पाकेट मनी जिसमे से कुछ फ़ास्ट फ़ूड या आइस क्रीम कि बजाय कुछ पैसा बचाने के लिए बच्चे को प्रेरित करना है फिर चाहे कुछ दिन या एक महीने में उसके कि गयी सेविंग से उन्ही के खेलने या पढाई से सम्बंधित कुछ पेन पेंसिल सेट या फ्लोटिंग कलर्स , क्ले मोल्ड्स या क्रिक्केट सेट दिलवाना है | ये शुरुआत एक दिन उसके जीवन का हिस्सा बन जाएगी | खेल खेल में कब बच्चा पैसे कि वैल्यू भी समझ जाएगा और उसे बचत भी करनी आ जाएगी | इस छोटी बचत से आगे चलकर उसको कभी जीवन में परेशानी नही आएगी और किसी भी जरुरत कि चीज को खरीदने के लिए संयम भी आ जाएगा, साथ ही जो पुराने कपडे और खिलोने जो अब बच्चो को बोरिंग लगते हैं उनका दान बच्चों के हाथो करवाने का सोचिए ताकि आने वाले कल में बच्चा इंसानियत भी सीखे|